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Sunday 4 August 2013

राई का पहाड़.

राई का पहाड़.-


एक राजकुमारी की आंख में कुछ समस्या हो गयी। यह समस्या थी तो मामूली सीकिन्तु चूँकि वह राजा की
बेटी थी और पहली बार उसे कुछ समस्या हुयी थीअतः उसे हल्का सा आंख का दर्द भी बहुत नागवार गुज़र
रहा था। औरवह हर समय कराहती और रोती रहती थी।



जब  उसे कोई दवाई डालने को कहतेतो दवाई को फेंक देती और बार-बार आंख को छूती थी। इस प्रकार
उसकी समस्या ठीक होने के स्थान पर बढ़ती गयी और राजा बहुत परेशान हो गया। राजा ने घोषणा करवा दी
कि जो भी उसकी बेटी कोराजकुमारी कोठीक कर देगाउसे भारी ईनाम दिया जाएगा।
कुछ समय पश्चात् एक आदमी आया जिसने अपने आपको एक प्रसिद्द चिकित्सक बताया किन्तु
वास्तविकता   में वह डॉक्टर  था ही नहीं।
उसने कहा कि वह निश्चित रूप से राजकुमारी को ठीक कर सकता था और इसलिए उसे राजकुमारी के कक्ष
में उनका मुआइना करने भेज दिया गया।
राजकुमारी का चेक अप करने के पश्चात् वह व्यक्ति चौंका और बोला,
" हे मेरे भगवान ! यह तो बड़े दुःख की बात है।" इस पर राजकुमारी बोली-- "डाक्टर साहबक्या मैं ठीक हो
जाऊंगी ? " " आपकी आंख में कोई खास समस्या तो है नहीं। वह तो ठीक हो जाएगी, किन्तु कुछ और बात
है जो कि काफ़ी चिन्ताजनक है। " वह व्यक्ति बोला।


" ऐसी क्या बात है जो इतनी चिन्ताजनक है ? "
इस पर वह हिचकिचाते हुए बोला, " स्थिति सचमुच बहुत गंभीर है, राजकुमारी जी, और मुझे आपको इसके
बारे में नहीं बताना चाहिए। "
राजकुमारी गिड़गिडाती रही पर उस व्यक्ति ने कुछ नहीं बताया। अंततः वह बोला कि महाराज यदि आज्ञा दे
दें तो वह बता देगा कि क्या समस्या है।
जब महाराज आये तो भी उसने बताने में आनाकानी की किन्तु फ़िर महाराज ने आदेश दिया, " जो भी स्थिति  हो, आप हमें स्पष्ट शब्दों में बताइए। " अन्ततः चिकित्सक बोला,
" ऐसा है, महाराज ! कि आँखों का दर्द ठीक होने में तो कोई समस्या नहीं है। वह तो जल्दी ही ठीक हो जाएगा।
किन्तु गंभीर बात यह है कि राजकुमारी जी की जल्दी ही पूँछ निकलने लगेगी और वह पूँछ नौ मीटर लम्बी
होगी। "
" जैसे ही राजकुमारी जी को आभास हो कि पूँछ निकलनी शुरू हो रही हैवे तुरंत बताएं तो मैं उसे बढ़ने से
रोकने का पूरा प्रयास करूंगा। "
यह समाचार मिलते ही सब चिन्ताग्रस्त हो गए। औरराजकुमारी ने क्या किया वह बिस्तर पर लेट गयी
और रात दिन उसका सारा ध्यान इस ओर लगा रहता था कि कहीं उसकी पूँछ तो नहीं निकल रही। औरइस
कारण कुछ ही दिनों में उसकी आंख बिलकुल ठीक हो गयी।


इससे हमें यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार हम अपनी छोटी-छोटी समस्याओं पर अपना पूरा ध्यान लगाये
रहते हैं और अपने लक्ष्यों की अवहेलना करते रहते हैं।।
वास्तविकता में हमें क्या करना चाहिए यदि हमारी कोई छोटी समस्या हो तो क्या उसकी अवहेलना करते
रहना चाहिए नहीं ! हमें जीवन के हर क्षेत्र में अपने लक्ष्यों एवं समस्याओं को उनकी गंभीरता के अनुपात में
समय देना चाहिए और छोटी-छोटी समस्याओं को राई का पहाड़ नहीं बना देना चाहिए। 

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