आचार्य श्रीराम शर्मा के अनमोल वचन
आचार्य श्रीराम शर्मा
आचार्य श्रीराम
शर्मा
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इस संसार में प्यार करने लायक़ दो वस्तुएँ
हैं-एक दुख और दूसरा श्रम। दुख के बिना हृदय निर्मल नहीं होता और श्रम के बिना
मनुष्यत्व का विकास नहीं होता। - आचार्य श्रीराम शर्मा
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संपदा को जोड़-जोड़ कर रखने वाले को भला क्या
पता कि दान में कितनी मिठास है। - आचार्य श्रीराम शर्मा
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जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं- एक वे
जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं। - आचार्य
श्रीराम शर्मा
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मानसिक बीमारियों से बचने का एक ही उपाय है
कि हृदय को घृणा से और मन को भय व चिन्ता से मुक्त रखा जाय। - आचार्य श्रीराम
शर्मा
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मनुष्य कुछ और नहीं, भटका हुआ देवता है। - आचार्य श्रीराम शर्मा
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असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे
मन से नहीं किया गया। — श्रीराम शर्मा आचार्य
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शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर
है। — श्रीराम शर्मा, आचार्य
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ग्रन्थ, पन्थ हो अथवा
व्यक्ति, नहीं किसी की अंधी भक्ति। — श्रीराम शर्मा, आचार्य
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जैसी जनता, वैसा राजा।
प्रजातन्त्र का यही तकाजा॥ —
श्रीराम शर्मा, आचार्य
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केवल वे ही असंभव कार्य को कर सकते हैं जो
अदृष्य को भी देख लेते हैं। —
श्रीराम शर्मा
आचार्य
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नहीं संगठित सज्जन लोग। रहे इसी से संकट भोग॥
— श्रीराम शर्मा, आचार्य
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मनुष्य की वास्तविक पूँजी धन नहीं, विचार हैं। — श्रीराम शर्मा, आचार्य
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प्रज्ञा-युग के चार आधार होंगे - समझदारी, इमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी। — श्रीराम शर्मा, आचार्य
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मनःस्थिति बदले, तब परिस्थिति बदले। - पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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रचनात्मक कार्यों से देश समर्थ बनेगा। — श्रीराम शर्मा, आचार्य
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संसार का सबसे बडा दिवालिया वह है जिसने
उत्साह खो दिया। — श्रीराम शर्मा, आचार्य
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समाज के हित में अपना हित है। — श्रीराम शर्मा, आचार्य
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सुख में गर्व न करें, दुःख में धैर्य न छोड़ें। - पं श्री राम शर्मा आचार्य
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उसी धर्म का अब उत्थान, जिसका सहयोगी विज्ञान॥ —
श्रीराम शर्मा, आचार्य
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बड़प्पन अमीरी में नहीं, ईमानदारी और सज्जनता में सन्निहित है। — श्रीराम शर्मा
आचार्य
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जो बच्चों को सिखाते हैं, उन पर बड़े खुद अमल करें तो यह संसार स्वर्ग बन जाय। — श्रीराम शर्मा आचार्य
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विनय अपयश का नाश करता हैं, पराक्रम अनर्थ को दूर करता है, क्षमा सदा ही
क्रोध का नाश करती है और सदाचार कुलक्षण का अंत करता है। — श्रीराम शर्मा आचार्य
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जब तक व्यक्ति असत्य को ही सत्य समझता
रहता है, तब तक उसके मन में सत्य को जानने की
जिज्ञासा उत्पन्न नहीं होती है। - पं. श्रीराम शर्मा
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अवसर तो सभी को जिन्दगी में मिलते हैं, किंतु उनका सही वक्त पर सही तरीके से इस्तेमाल कुछ ही कर पाते हैं। - श्रीराम शर्मा
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