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Sunday, 4 August 2013

आत्म निरीक्षण .

आत्म निरीक्षण -

एक छोटा सा लड़का जो कि लगभग ११-१२ वर्ष का रहा होगा ,एक दवाई कि दुकान में गया और उसके मालिक से एक फ़ोन मिलाने कि आज्ञा ली.फिर उसने एक बड़ा सा बक्सा खिसकाया और उस पर चढ़ गया जिससे कि वह ऊपर रखे हुए फ़ोन तक पहुँच सके . दुकान का मालिक चुपचाप उस लड़के कि बातचीत सुनने लगा .बालक ने एक महिला को फ़ोन मिलाया और बोला , " क्या आप मुझे अपना बगीचा और लॉन काटने का काम दे सकती हैं ?"
इस पर वह महिला फ़ोन के दूसरी ओर से बोली ," मेरे लॉन कि  कटाई का काम पहले से कोई कर रहा है . बालक , " किन्तु ,मैं आपके लॉन कि कटाई का काम उससे आधे दाम पर करने के लिए तैयार हूँ ."
महिला , " जो लड़का मेरे लॉन की कटाई का काम कर रहा है , मैं उसके काम से पूरी तरह संतुष्ट हूँ . " 
  इस पर वह  बालक ओर अधिक निश्चय पूर्वक बोला , " मैं आप के लॉन के  चारों  ओर का रास्ता भी साफ़ कर दिया करूँगा ओर आप के  घर के बाहर    के शीशे
 भी साफ़ कर दिया करूंगा ."

महिला बोली ," नहीं , मुझे किसी की  आवश्यकता नहीं है ,धन्यवाद ," यह सुन कर वह  बालक मुस्कुराया ओर उसने फोन रख दिया ."

दुकान का मालिक जो कि उस लड़के कि बातचीत  सुन रहा था , उसकी ओर आया ओर बोला ,"बेटा ,मुझे तुम्हारा आत्मविश्वास ओर सकारात्मक दृष्टिकोण देख कर बहुत  अच्चा लगा .
मुझे तुम्हे नौकरी पर रख कर वास्तव मैं ख़ुशी होगी .क्या तुम मेरे लिए काम करना पसंद करोगे ?"इस पर वह  बालक बोला,"धन्यवाद,पर मैं कोई नौकरी नहीं करना चाहता ."
दुकान का मालिक बोला," लेकिन , बेटा तुम तो अभी-अभी फोन पर नौकरी के लिए गिडगिडा रहे थे ."
इस पर बालक बोला," नहीं महोदय , मैं तो केवल  अपनी कार्यकुशलता का परीक्षण  कर रहा था . दरअसल , जिस महिला को मैंने फोन किया था मैं उसी के लिए कार्य करता हूँ  ."
 
वह आगे बोला," ओर , उससे बात करने के पश्चात  यह जान कर मुझे बहुत अधिक आत्मसंतोष मिल रहा है कि वेह महिला मेरे कार्य से पूर्ण रूप से संतुष्ट है  ." 
क्या हम लोग इस छोटे से बालक  से आत्म निरीक्षण  करने की  प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं  ?  



कौन किसका मालिक.

कौन किसका मालिक-

एक दिन एक सूफ़ी  संत 'शेख़ फरीद' अपने शिष्यों के साथ बैठे थे.तभी एक आदमी वहां से एक गाय को ज़बरदस्ती खींचता हुआ निकला .यह देखकर फरीद ने अपने शिष्यों से पूछा ," तुम्हारे विचार में कौन किससे बंधा है ?" उसके शिष्यों ने जवाब दिया कि स्पष्टतया गाय ही उस आदमी से बंधी है . फरीद ने फिर पूछा ,"अच्छा यह बताओ ,कौन किसका मालिक है ?" सब शिष्य इस अजीब से ( absurd) प्रश्न पर हंसने लगे और बोले कि वेह आदमी ही मालिक था और कौन ? गाय तो पशु है ,वह मनुष्य कि स्वामिनी कैसे हो सकती है ?"
"
अच्छा , यह बताओ कि अग़र रस्सी को तोड़ दिया जाय तो क्या होगा " फरीद ने पूछा .

शिष्यों ने उत्तर दिया ," तब तो गाय भागने की कोशिश करेगी ."  ............... "और फिर उस आदमी का क्या होगा ?" फरीद ने पूछा 
"
स्पष्ट रूप से तब तो यह आदमी गाय का पीछा करेगा , गाय के पीछे -पीछे भागेगा ." तुरंत जवाब आया .
जैसे ही शिष्यों ने यह जवाब दिया , वे समझ गए कि कौन किससे बंधा है ?
आज यदि हम सोचें कि आज के परपेक्ष्य में हम लोग कार ,स्कूटर,बाइक,लैपटॉप ,कम्पूटर ,डीवीडी ,मोबाईल ,एक्स्बौक्स ,पीएस३,टीवी इत्यादि भोग विलास की वस्तुओं के मालिक हैं या यह भोग विलास की वस्तुएं हमारी मालिक हैं ? हम इन वस्तुओं का उपयोग अपने लाभ के लिए ही कर रहे हैं या इन वस्तुओं के कारण हमारा नुकसान हो रहा है ?कहीं ऐसा तो नहीं कि हम इन वस्तुओं के इतने अधिक आदी हो चुके हैं कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह ठीक से नहीं कर पा रहे ? 
हमें यह समझना होगा कि हमें इन भोग विलास के साधनों का उपयोग अपने गुलाम के रूप में करना है , और किसी भी कीमत पर इनका गुलाम नहीं बनना.

राई का पहाड़.

राई का पहाड़.-


एक राजकुमारी की आंख में कुछ समस्या हो गयी। यह समस्या थी तो मामूली सीकिन्तु चूँकि वह राजा की
बेटी थी और पहली बार उसे कुछ समस्या हुयी थीअतः उसे हल्का सा आंख का दर्द भी बहुत नागवार गुज़र
रहा था। औरवह हर समय कराहती और रोती रहती थी।



जब  उसे कोई दवाई डालने को कहतेतो दवाई को फेंक देती और बार-बार आंख को छूती थी। इस प्रकार
उसकी समस्या ठीक होने के स्थान पर बढ़ती गयी और राजा बहुत परेशान हो गया। राजा ने घोषणा करवा दी
कि जो भी उसकी बेटी कोराजकुमारी कोठीक कर देगाउसे भारी ईनाम दिया जाएगा।
कुछ समय पश्चात् एक आदमी आया जिसने अपने आपको एक प्रसिद्द चिकित्सक बताया किन्तु
वास्तविकता   में वह डॉक्टर  था ही नहीं।
उसने कहा कि वह निश्चित रूप से राजकुमारी को ठीक कर सकता था और इसलिए उसे राजकुमारी के कक्ष
में उनका मुआइना करने भेज दिया गया।
राजकुमारी का चेक अप करने के पश्चात् वह व्यक्ति चौंका और बोला,
" हे मेरे भगवान ! यह तो बड़े दुःख की बात है।" इस पर राजकुमारी बोली-- "डाक्टर साहबक्या मैं ठीक हो
जाऊंगी ? " " आपकी आंख में कोई खास समस्या तो है नहीं। वह तो ठीक हो जाएगी, किन्तु कुछ और बात
है जो कि काफ़ी चिन्ताजनक है। " वह व्यक्ति बोला।


" ऐसी क्या बात है जो इतनी चिन्ताजनक है ? "
इस पर वह हिचकिचाते हुए बोला, " स्थिति सचमुच बहुत गंभीर है, राजकुमारी जी, और मुझे आपको इसके
बारे में नहीं बताना चाहिए। "
राजकुमारी गिड़गिडाती रही पर उस व्यक्ति ने कुछ नहीं बताया। अंततः वह बोला कि महाराज यदि आज्ञा दे
दें तो वह बता देगा कि क्या समस्या है।
जब महाराज आये तो भी उसने बताने में आनाकानी की किन्तु फ़िर महाराज ने आदेश दिया, " जो भी स्थिति  हो, आप हमें स्पष्ट शब्दों में बताइए। " अन्ततः चिकित्सक बोला,
" ऐसा है, महाराज ! कि आँखों का दर्द ठीक होने में तो कोई समस्या नहीं है। वह तो जल्दी ही ठीक हो जाएगा।
किन्तु गंभीर बात यह है कि राजकुमारी जी की जल्दी ही पूँछ निकलने लगेगी और वह पूँछ नौ मीटर लम्बी
होगी। "
" जैसे ही राजकुमारी जी को आभास हो कि पूँछ निकलनी शुरू हो रही हैवे तुरंत बताएं तो मैं उसे बढ़ने से
रोकने का पूरा प्रयास करूंगा। "
यह समाचार मिलते ही सब चिन्ताग्रस्त हो गए। औरराजकुमारी ने क्या किया वह बिस्तर पर लेट गयी
और रात दिन उसका सारा ध्यान इस ओर लगा रहता था कि कहीं उसकी पूँछ तो नहीं निकल रही। औरइस
कारण कुछ ही दिनों में उसकी आंख बिलकुल ठीक हो गयी।


इससे हमें यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार हम अपनी छोटी-छोटी समस्याओं पर अपना पूरा ध्यान लगाये
रहते हैं और अपने लक्ष्यों की अवहेलना करते रहते हैं।।
वास्तविकता में हमें क्या करना चाहिए यदि हमारी कोई छोटी समस्या हो तो क्या उसकी अवहेलना करते
रहना चाहिए नहीं ! हमें जीवन के हर क्षेत्र में अपने लक्ष्यों एवं समस्याओं को उनकी गंभीरता के अनुपात में
समय देना चाहिए और छोटी-छोटी समस्याओं को राई का पहाड़ नहीं बना देना चाहिए।